"गीता 3:37": अवतरणों में अंतर
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पूर्व | पूर्व [[श्लोक]] में समस्त अनर्थों का मूल और इस मनुष्य को बिना इच्छा के पापों में लगाने वाला वैरी काम को बतलाया। इस पर यह जिज्ञासा होती है कि यह काम मनुष्य को किस प्रकार पापों में प्रवृत्त करता है ? अत: अब तीन श्लोकों द्वारा यह समझाते हैं कि यह मनुष्य के ज्ञान को आच्छादित करके उसे अन्धा बनाकर पापों के गड्ढे में ढकेल देता हैं- | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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10:49, 4 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-3 श्लोक-37 / Gita Chapter-3 Verse-37
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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