"गीता 3:16": अवतरणों में अंतर
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हे < | हे पार्थ<ref>पार्थ, भारत, धनज्जय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी [[अर्जुन]] के सम्बोधन है।</ref> ! जो पुरुष इस लोक में इस प्रकार परम्परा से प्रचलित सृष्टि चक्र के अनुकूल नहीं बरतता अर्थात् अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता, वह [[इन्द्रियाँ]] के द्वारा भोगों में रमण करने वाला पापायु पुरुष व्यर्थ ही जीता है ।।16।। | ||
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Arjuna, he who does not follow the wheel of creation thus set going in this world (i.e., does not perform his duties), sinful and sensual, he lives in vain. (16) | Arjuna, he who does not follow the wheel of creation thus set going in this world (i.e., does not perform his duties), sinful and sensual, he lives in vain. (16) | ||
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पार्थ = हे पार्थ ; य: = जो पुरुष ; इह = इस लोकमें ; एवम् = इस प्रकार ; प्रवर्तितम् = चलाये हुए ; चक्रम् = सृष्टिचक्रके ; न अनुवर्तयति = अनुसार नहीं बर्तता है ( | पार्थ = हे पार्थ ; य: = जो पुरुष ; इह = इस लोकमें ; एवम् = इस प्रकार ; प्रवर्तितम् = चलाये हुए ; चक्रम् = सृष्टिचक्रके ; न अनुवर्तयति = अनुसार नहीं बर्तता है (अर्थात् शास्त्रानुसार कर्मोंको नहीं करता है) ; स: = वह ; इन्द्रियाराम: = इन्द्रियोंके सुखको भोगनेवाला ; अघायु: = पापआयु (पुरुष) ; मोघम् = व्यर्थ ही ; जीवति = जीता है | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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07:57, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-3 श्लोक-16 / Gita Chapter-3 Verse-16
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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