श्रीभगवान् बोले-
हे <balloon title="पार्थ, भारत, धनज्जय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है ।" style="color:green">निष्पाप</balloon> ! इस लोक में दो प्रकार की निष्ठा मेरे द्वारा पहले वर्णन की गयी है । उनमें से सांख्य योगियों की निष्ठा तो ज्ञान योग से और योगियों की निष्ठा कर्मयोग से होती है ।।3।।
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Sri Bhagavan said :
Arjuna, in this world two fourses of sadhana (Spiritual discipline) have been enunciated by Me in the past. In the case of the Sankhyayogi, the sadhana proceeds along the path of knowledge; whereas in the case of the karmayogi, it proceeds along the path of action. (3)
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