जो कोई मनुष्य दोष दृष्टि से रहित और श्रद्धायुक्त होकर मेरे इस मत का सदा अनुसरण करते हैं, वे भी सम्पूर्ण कर्मों से छूट जाते हैं ।।31।।
|
Even those men who, with an uncavilling and devout mind, always follow this teaching of Mine are released from the bondage of all actions.(31)
|