हे <balloon title="पार्थ, भारत, धनज्जय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है ।" style="color:green">पार्थ</balloon> ! जो पुरुष इस लोक में इस प्रकार परम्परा से प्रचलित सृष्टि चक्र के अनुकूल नहीं बरतता अर्थात् अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता, वह इन्द्रियों के द्वारा भोगों में रमण करने वाला पापायु पुरुष व्यर्थ ही जीता है ।।16।।
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Arjuna, he who does not follow the wheel of creation thus set going in this world (i.e., does not perform his duties), sinful and sensual, he lives in vain. (16)
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