यदि तू मन को मुझमें अचल स्थापन करने के लिये समर्थ नहीं है तो हे अर्जुन[1] ! अभ्यास रूप योग के द्वारा मुझको प्राप्त होने के लिये इच्छा कर ।।9।।
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If you cannot stadily fix the mind on me. Arjuna, then seek to attain me through the yoga of repeated practice. (9)
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