यत्न करने वाले योगी जन भी अपने हृदय में स्थित इस आत्मा को तत्त्व से जानते हैं; किंतु जिन्होंने अपने अन्त:करण को शुद्ध नहीं किया है, ऐसे अज्ञानीजन तो यत्न करते रहने पर भी इस आत्मा को नहीं जानते ।।11।।
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Striving Yogis too are able to realize this Self enshrined in their heart. The ignorant; however, whose heart has not been purified, know not this Self in spite of their best endeavours. (11)
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