और मैं ही पृथ्वी में प्रवेश करके अपनी शक्ति से सब भूतों को धारण करता हूँ और रस स्वरूप अर्थात् अमृतमय चन्द्रमा[1] होकर सम्पूर्ण औंषधियों को अर्थात् वनस्पतियों को पुष्ट करता हूँ ।।13।।
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And permeating the soil, it is I who support all creatures by My vital power; and becoming the nectarine moon, I nourish all plants. (13)
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