जिस परमपद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आते, उस स्वयं प्रकाश परमपद को न सूर्य[1] प्रकाशित कर सकता है, न चन्द्रमा[2] और न अग्नि[3] ही; वही मेरा परमधाम है ।।6।।
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Neither the sun nor the moon nor even fire can illumine that supreme self-effulgent state, attaining to which they never return to this world. That is My supreme Abode. (6)
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