हे भारत[1] ! जो ज्ञानी पुरुष मुझको इस प्रकार तत्त्व से पुरुषोत्तम जानता है, वह सर्वज्ञ पुरुष सब प्रकार से निरन्तर मुझ वासुदेव[2] परमेश्वर को ही भजता है ।।19।।
|
Arjuna, the wise man who thus realizes Me as the Supreme Person,—knowing all, he constantly worship Me (the all-pervading Lord) with his whole being. (19)
|