श्रीभगवान् बोले-
मनुष्यों की वह शास्त्रीय संस्कारों से रहित केवल स्वभाव से उत्पन्न श्रद्धा सात्विकी और राजसी तथा तामसी- ऐसे तीनों प्रकार की ही होती है ।
उसको तू मुझसे सुन ।।2।।
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Shri Bhagavan said-
According to the modes of nature acquired by the embodied soul, one's faith can be of three kinds-goodness, passion or ignorance. Now hear about these.(2)
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