तथा यज्ञ, तप और दान में जो स्थिति है, वह भी 'सत्' इस प्रकार कही जाती है और उस परमात्मा के लिये किया हुआ कर्म निश्चयपूर्वक सत्- ऐसे कहा जाता है ।।27।
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And steadfastness in sacrifice, austerity and charity is likewise spoken of as 'Sat' and action for the sake of God is verily termed as 'Sat'.(27)
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