इसलिये वेद मन्त्रों का उच्चारण करने वाले श्रेष्ठ पुरुषों की शास्त्रविधि से नियत यज्ञ, दान और तपरूप क्रियाएँ सदा 'ऊँ' इस परमात्मा के नाम को उच्चारण करके ही आरम्भ होती हैं ।।24।।
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Therefore, acts of sacrifice, charity and austerity as enjoined by sacred precepts are always commenced by noble souls given to the recitation of Vedic chants with utterance of the divine name OM. (24)
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