गीता 17:22

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गीता अध्याय-17 श्लोक-22 / Gita Chapter-17 Verse-22

प्रसंग-


अब तामस दान के लक्षण बतलाते हैं-


अदेशकाले यद्दानमपात्रेभ्यश्च दीयते ।
असत्कृतमवज्ञातं तत्तामसमुदाहृतम् ।।22।।



जो दान बिना सत्कार के अथवा तिरस्कारपूर्वक अयोग्य देश-काल में और कुपात्र के प्रति दिया जाता है, वह दान तामस कहा गया है ।।22।।

A gift which is made without good grace and in a disdainful spirit out of time and place and to undeserving persons, is said to be Tamas.(22)


च = और ; यत् = जो ; दानम् = दान ; असत्कृतम् = बिना सत्कार किये ; वा = अथवा ; तत् = वह (दान) ; तामसम् = तामस ; अवज्ञातम् = तिरस्कारपूर्वक ; अदेश काले = अयोग्य देश काल में ; अपात्रेभ्य: = कुपात्रों के लिये ; दीयते = दिया जाता है; उदाहृतम् = कहा गया है



अध्याय सतरह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-17

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28

अध्याय / Chapter:
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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