"गीता 12:9": अवतरणों में अंतर
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यदि तू मन को मुझमें अचल स्थापन करने के लिये समर्थ नहीं है तो हे <balloon link=" | यदि तू मन को मुझमें अचल स्थापन करने के लिये समर्थ नहीं है तो हे <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था। | ||
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! अभ्यास रूप योग के द्वारा मुझको प्राप्त होने के लिये इच्छा कर ।।9।। | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! अभ्यास रूप योग के द्वारा मुझको प्राप्त होने के लिये इच्छा कर ।।9।। | ||
10:48, 21 मार्च 2010 का अवतरण
गीता अध्याय-12 श्लोक-9 / Gita Chapter-12 Verse-9
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