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इस प्रकार <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था।
 
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अर्जुन</balloon> के प्रश्न का उत्तर देकर अब भगवान् दो श्लोकों द्वारा युद्ध करने में सब प्रकार से लाभ दिखलाकर अर्जुन को युद्ध के लिये उत्साहित करते हुए आज्ञा देते हैं-  
 
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07:46, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण

गीता अध्याय-11 श्लोक-33 / Gita Chapter-11 Verse-33

प्रसंग-


इस प्रकार <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> अर्जुन</balloon> के प्रश्न का उत्तर देकर अब भगवान् दो श्लोकों द्वारा युद्ध करने में सब प्रकार से लाभ दिखलाकर अर्जुन को युद्ध के लिये उत्साहित करते हुए आज्ञा देते हैं-


तस्मात्त्वमुत्तिष्ठ यशो लभस्व
जित्वा शत्रून्भुड्क्ष्व राज्यं समृद्धम् ।
मयैवैते निहता: पूर्वमेव
निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन् ।।33।।



अतएव तू उठ ! यश प्राप्त कर और शत्रुओं को जीतकर धन-धान्य से संपन्न राज्य को भोग । ये सब शूरवीर पहले ही से मेरे ही द्वारा मारे हुए हैं हे सव्यसाचिन् ! तू तो केवल निमित्त मात्र बन जा ।।33।।

There fore, do you arise and win glory; conquering foes, enjoy the affluent kingdom. These warriors stand already slain by Me; be you only an instrument, Arjuna. (33)


उत्तिष्ठ = खड़ा हो(और); यश: = यशको; लभस्व = प्राप्त कर(तथा); शत्रून् = शत्रुओं को; समृद्धम् = धनधान्यसे सम्पत्र; मुड्क्ष्व = भोग(और); एते = यह सब(शूरवीर); पूर्वम् = पहिले से; एव = ही; मया = मेरे द्वारा; निहता: = मारे हुए हैं; सव्यसाचिन् = हे सव्यसाचिन् तूं तो; निमित्तमात्रम् = केवल निमित्त मात्र; एव = ही; भव = हो जा



अध्याय ग्यारह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-11

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10, 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26, 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41, 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)