"गीता 2:46" के अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "तत्व " to "तत्त्व ") |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - " मे " to " में ") |
||
पंक्ति 9: | पंक्ति 9: | ||
'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
---- | ---- | ||
− | इस प्रकार समबुद्धि रूप कर्मयोग का और उसके फलका महत्व बतलाकर अब दो श्लोकों में भगवान् कर्मयोग का स्वरूप बतलाते हुए <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर | + | इस प्रकार समबुद्धि रूप कर्मयोग का और उसके फलका महत्व बतलाकर अब दो श्लोकों में भगवान् कर्मयोग का स्वरूप बतलाते हुए <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। |
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> को कर्मयोग में स्थित होकर कर्म करने के लिये कहते हैं- | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> को कर्मयोग में स्थित होकर कर्म करने के लिये कहते हैं- | ||
---- | ---- |
07:51, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-2 श्लोक-46 / Gita Chapter-2 Verse-46
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||