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वायव्य अस्त्र के बाण से भयंकर तूफ़ान आता है और अन्धकार छा जाता है। इसका प्रयोग [[महाभारत|महाभारतकाल]] में किया जाता था। ये वे आयुध जो मन्त्रों से चलाये जाते हैं- ये दैवी हैं। प्रत्येक [[अस्त्र शस्त्र|शस्त्र]] पर भिन्न-भिन्न देव या देवी का अधिकार होता है और मन्त्र-तन्त्र के द्वारा उसका संचालन होता है। वस्तुत: इन्हें दिव्य तथा मान्त्रिक-अस्त्र कहते हैं।
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वायव्य अस्त्र के बाण से भयंकर तूफ़ान आता है और अन्धकार छा जाता है। इसका प्रयोग [[महाभारत|महाभारतकाल]] में किया जाता था। ये वे आयुध हैं जो मन्त्रों से चलाये जाते हैं- ये दैवी हैं। प्रत्येक [[अस्त्र शस्त्र|शस्त्र]] पर भिन्न-भिन्न देव या देवी का अधिकार होता है और मन्त्र-तन्त्र के द्वारा उसका संचालन होता है। वस्तुत: इन्हें दिव्य तथा मान्त्रिक-अस्त्र कहते हैं।
  
 
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11:48, 26 अप्रैल 2011 का अवतरण

वायव्य अस्त्र के बाण से भयंकर तूफ़ान आता है और अन्धकार छा जाता है। इसका प्रयोग महाभारतकाल में किया जाता था। ये वे आयुध हैं जो मन्त्रों से चलाये जाते हैं- ये दैवी हैं। प्रत्येक शस्त्र पर भिन्न-भिन्न देव या देवी का अधिकार होता है और मन्त्र-तन्त्र के द्वारा उसका संचालन होता है। वस्तुत: इन्हें दिव्य तथा मान्त्रिक-अस्त्र कहते हैं।


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