"धनुष अस्त्र" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
  
 
इसका उपयोग बाण चलाने के लिये होता है। इनका प्रयोग [[महाभारत|महाभारतकाल]] में किया जाता था। प्राचीन समय में देवी देवता भी इसका प्रयोग करते थे।
 
इसका उपयोग बाण चलाने के लिये होता है। इनका प्रयोग [[महाभारत|महाभारतकाल]] में किया जाता था। प्राचीन समय में देवी देवता भी इसका प्रयोग करते थे।
 +
====राम====
 +
{{मुख्य|राम}}
 +
मर्यादा पुरुषोत्तम [[राम]] का मुख्य अस्त्र धनुष था । राम को धर्नुधारी कहा जाता है।
 +
====अर्जुन====
 +
{{मुख्य|अर्जुन}}
 +
[[अर्जुन]] सबसे अच्छा तीरंदाज था। वो [[द्रोणाचार्य]] का शिष्य था जीवन में अनेक अवसरों पर उसने इसका परिचय दिया था [[द्रौपदी]] को स्वयंम्वर में जीतने वाला वो ही था।
 +
[[पांडु]] की ज्येष्ठ पत्नी [[वासुदेव]] [[कृष्ण]] की बुआ [[कुंती]] थी जिसने [[इन्द्र]] के संसर्ग से अर्जुन को जन्म दिया। कुंती का एक नाम पृथा था, इसलिए अर्जुन 'पार्थ' भी कहलाए। वाएं हाथ से भी धनुष चलाने के कारण 'सव्यसाची' और उत्तरी प्रदेशों को जीतकर अतुल संपत्ति प्राप्त करने के कारण 'धनंजय' के नाम से भी प्रसिद्ध हुए।
 
{{प्रचार}}
 
{{प्रचार}}
 
{{लेख प्रगति  
 
{{लेख प्रगति  

11:22, 19 जुलाई 2011 का अवतरण

धनुष, बाण और तुणीक

धनुष अस्त्र

इसका उपयोग बाण चलाने के लिये होता है। इनका प्रयोग महाभारतकाल में किया जाता था। प्राचीन समय में देवी देवता भी इसका प्रयोग करते थे।

राम

मर्यादा पुरुषोत्तम राम का मुख्य अस्त्र धनुष था । राम को धर्नुधारी कहा जाता है।

अर्जुन

अर्जुन सबसे अच्छा तीरंदाज था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था जीवन में अनेक अवसरों पर उसने इसका परिचय दिया था द्रौपदी को स्वयंम्वर में जीतने वाला वो ही था। पांडु की ज्येष्ठ पत्नी वासुदेव कृष्ण की बुआ कुंती थी जिसने इन्द्र के संसर्ग से अर्जुन को जन्म दिया। कुंती का एक नाम पृथा था, इसलिए अर्जुन 'पार्थ' भी कहलाए। वाएं हाथ से भी धनुष चलाने के कारण 'सव्यसाची' और उत्तरी प्रदेशों को जीतकर अतुल संपत्ति प्राप्त करने के कारण 'धनंजय' के नाम से भी प्रसिद्ध हुए।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख