"गीता 3:23" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (1 अवतरण)
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
 
<table class="gita" width="100%" align="left">
 
<table class="gita" width="100%" align="left">
 
<tr>
 
<tr>
पंक्ति 18: पंक्ति 17:
 
|-
 
|-
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
क्योंकि हे <balloon title="पार्थ, भारत, धनज्जय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है ।" style="color:green">पार्थ</balloon> ! यदि कदाचित मैं सावधान होकर कर्मों में न बरतूँ तो बड़ी हानि हो जायगी, क्योंकि मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं ।।23।।
+
क्योंकि हे पार्थ<ref>पार्थ, भारत, धनज्जय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी [[अर्जुन]] के सम्बोधन है।</ref> ! यदि कदाचित मैं सावधान होकर कर्मों में न बरतूँ तो बड़ी हानि हो जायगी, क्योंकि मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं ।।23।।
  
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
 
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
पंक्ति 28: पंक्ति 27:
 
|-
 
|-
 
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" |
 
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" |
हि = क्योंकि = यदि = यदि ; अहम् = मैं ; अतन्द्रित: = सावधान हुआ ; जातु = कदाचित ; मनु    ष्या: = मनुष्य ; मम = मेरे ; वर्त्म = बर्तावके ; कर्मणि = कर्ममें ; न = न ; वर्तेयम् = बर्तू (तो) ; पार्थ = हे अर्जुन ; सर्वश: = सब प्रकारसे ; अनुवर्तन्ते = अनुसार बर्तते हैं अर्थात् बर्तने लग जायं ;  
+
हि = क्योंकि = यदि = यदि ; अहम् = मैं ; अतन्द्रित: = सावधान हुआ ; जातु = कदाचित ; मनु    ष्या: = मनुष्य ; मम = मेरे ; वर्त्म = बर्ताव के ; कर्मणि = कर्म में ; न = न ; वर्तेयम् = बर्तू (तो) ; पार्थ = हे अर्जुन ; सर्वश: = सब प्रकार से ; अनुवर्तन्ते = अनुसार बर्तते हैं अर्थात् बर्तने लग जायं ;  
 
|-
 
|-
 
|}
 
|}
पंक्ति 45: पंक्ति 44:
 
<tr>
 
<tr>
 
<td>
 
<td>
{{गीता अध्याय}}</td>
+
{{गीता अध्याय}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 +
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 +
<references/>
 +
==संबंधित लेख==
 +
{{गीता2}}
 +
</td>
 +
</tr>
 +
<tr>
 +
<td>
 +
{{महाभारत}}
 +
</td>
 
</tr>
 
</tr>
 
</table>
 
</table>
 
[[Category:गीता]] [[Category:महाभारत]]
 
[[Category:गीता]] [[Category:महाभारत]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

10:30, 4 जनवरी 2013 के समय का अवतरण

गीता अध्याय-3 श्लोक-23 / Gita Chapter-3 Verse-23

यदि ह्राहं न वर्तेयं जातु कर्मण्यतन्द्रित: ।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्या: पार्थ सर्वश: ।।23।।



क्योंकि हे पार्थ[1] ! यदि कदाचित मैं सावधान होकर कर्मों में न बरतूँ तो बड़ी हानि हो जायगी, क्योंकि मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं ।।23।।

Should I not engage in action, scrupulously at any time, great harm will come to the world; for, Arjuna, men follow my way in all matters.(23)


हि = क्योंकि = यदि = यदि ; अहम् = मैं ; अतन्द्रित: = सावधान हुआ ; जातु = कदाचित ; मनु ष्या: = मनुष्य ; मम = मेरे ; वर्त्म = बर्ताव के ; कर्मणि = कर्म में ; न = न ; वर्तेयम् = बर्तू (तो) ; पार्थ = हे अर्जुन ; सर्वश: = सब प्रकार से ; अनुवर्तन्ते = अनुसार बर्तते हैं अर्थात् बर्तने लग जायं ;



अध्याय तीन श्लोक संख्या
Verses- Chapter-3

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14, 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पार्थ, भारत, धनज्जय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है।

संबंधित लेख