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− | जो पुरुष सर्वज्ञ, अनादि, सबके नियन्ता, सूक्ष्म से भी अति सूक्ष्म, सबके धारण-पोषण करने वाले अचिन्त्य स्वरूप, < | + | जो पुरुष सर्वज्ञ, अनादि, सबके नियन्ता, सूक्ष्म से भी अति सूक्ष्म, सबके धारण-पोषण करने वाले अचिन्त्य स्वरूप, [[सूर्य देव|सूर्य]]<ref>सूर्य महर्षि [[कश्यप]] के पुत्र हैं। वे कश्यप की पत्नी [[अदिति]] के गर्भ से उत्पन्न हुए थे।</ref> के सदृश नित्य चेतन प्रकाश रूप और अविधा से अति परे, शुद्ध सच्चिदानन्दघन परमेश्वर का स्मरण करता है ।।9।। |
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09:01, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-8 श्लोक-9 / Gita Chapter-8 Verse-9
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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