"गीता 10:31" के अवतरणों में अंतर
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'''पवन: पवतामस्मि राम: शस्त्रभृतामहम् ।'''<br/> | '''पवन: पवतामस्मि राम: शस्त्रभृतामहम् ।'''<br/> | ||
− | '''झषाणां मकरश्चास्मि | + | '''झषाणां मकरश्चास्मि स्तोत्रसामस्मि जाह्रवी ।।31।।''' |
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− | मैं पवित्र करने वालों में [[वायु]] और शस्त्रधारियों में | + | मैं पवित्र करने वालों में [[वायु देव|वायु]] और शस्त्रधारियों में [[श्रीराम]]<ref>भगवान् [[विष्णु]] के 10 [[अवतार|अवतारों]] में से एक हैं। ये [[अयोध्या]] के राजा [[दशरथ]] और रानी [[कौशल्या]] के सबसे बड़े पुत्र थे।</ref> हूँ तथा [[मछली|मछलियों]] में [[मगरमच्छ|मगर]] हूँ और नदियों में श्री भागीरथी [[गंगा]]<ref>[[भारत]] की सर्वाधिक पवित्र पुण्य सलिला नदी है। राजा [[भगीरथ]] तपस्या करके गंगा को [[पृथ्वी]] पर लाये थे।</ref> हूँ ।।31।। |
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− | पवताम् = पवित्र करनेवालोंमें; पवन: =वायु(और); शस्त्रभृताम् = शस्त्रधारियोंमें; झषाणाम् = मछलियों में; मकर: = मगरमच्छ; | + | पवताम् = पवित्र करनेवालोंमें; पवन: =वायु(और); शस्त्रभृताम् = शस्त्रधारियोंमें; झषाणाम् = मछलियों में; मकर: = मगरमच्छ; स्तोत्रसाम् = नदियों में; जाह्रवी = श्रीभागीरथी गगडा; |
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13:46, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-10 श्लोक-31 / Gita Chapter-10 Verse-31
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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