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− | जीवात्मा को तीनों गुणों से सम्बन्ध, एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में जाने वाला और शरीर में रहकर विषयों का सेवन करने वाला कहा | + | जीवात्मा को तीनों गुणों से सम्बन्ध, एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में जाने वाला और शरीर में रहकर विषयों का सेवन करने वाला कहा गया। अतएव यह जिज्ञासा होती है कि ऐसे [[आत्मा]] को कौन कैसे जानता है और कौन नहीं जानता ? इस पर दो [[श्लोक|श्लोकों]] में भगवान् कहते हैं- |
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10:58, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-15 श्लोक-10 / Gita Chapter-15 Verse-10
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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