"गीता 1:24-25" के अवतरणों में अंतर
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भीष्म</balloon> और <balloon link="द्रोणाचार्य" title="द्रोणाचार्य कौरव और पांडवो के गुरु थे । कौरवों और पांडवों ने द्रोणाचार्य के आश्रम मे ही अस्त्रों और शस्त्रों की शिक्षा पायी थी । अर्जुन द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे।¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> | भीष्म</balloon> और <balloon link="द्रोणाचार्य" title="द्रोणाचार्य कौरव और पांडवो के गुरु थे । कौरवों और पांडवों ने द्रोणाचार्य के आश्रम मे ही अस्त्रों और शस्त्रों की शिक्षा पायी थी । अर्जुन द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे।¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤"> | ||
− | द्रोणाचार्य</balloon> के सामने तथा सम्पूर्ण राजाओं के सामने उत्तम रथ को खड़ा करके इस प्रकार कहा कि हे पार्थ ! युद्ध के लिये जुटे हुए इन <balloon link="कौरव" title="गान्धारी के सौ पुत्र कौरव कहलाते | + | द्रोणाचार्य</balloon> के सामने तथा सम्पूर्ण राजाओं के सामने उत्तम रथ को खड़ा करके इस प्रकार कहा कि हे पार्थ ! युद्ध के लिये जुटे हुए इन <balloon link="कौरव" title="गान्धारी के सौ पुत्र कौरव कहलाते हैं। दुर्योधन इन सबमें सबसे बड़ा था । |
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कौरवों</balloon> को देख ।।24-25।। | कौरवों</balloon> को देख ।।24-25।। |
09:01, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-24,25 / Gita Chapter-1 Verse-24,25
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