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'''मुद्गर अस्त्र'''
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मुद्गर अस्त्र को साधारणतया एक हाथ से उठाते हैं। कहीं यह बताया है कि वह हथौड़े के समान भी होता है। ये वे [[अस्त्र शस्त्र|शस्त्र]] हैं, जो यान्त्रिक उपाय से फेंके जाते थे। ये अस्त्रनलिका आदि हैं नाना प्रकार के अस्त्र इसके अन्तर्गत आते हैं। [[अग्नि]], [[गैस]], [[विद्युत]] से भी ये अस्त्र छोडे जाते हैं। प्रमाणों की ज़रूरत नहीं है कि प्राचीन [[आर्य]] गोला-बारूद और भारी तोपें, टैंक बनाने में भी कुशल थे। इन अस्त्रों के लिये देवी और [[देवता|देवताओं]] की आवश्यकता नहीं पड़ती। ये भयकंर अस्त्र हैं और स्वयं ही अग्नि, गैस या विद्युत आदि से चलते हैं। इनका प्राचीन [[संस्कृत]]-ग्रन्थों में उल्लेख है।
 
 
इसे साधारणतया एक हाथ से उठाते हैं। कहीं यह बताया है कि वह हथौड़े के समान भी होता है। ये वे [[अस्त्र शस्त्र|शस्त्र]] हैं, जो यान्त्रिक उपाय से फेंके जाते थे; ये अस्त्रनलिका आदि हैं नाना प्रकार के अस्त्र इसके अन्तर्गत आते हैं। अग्नि, गैस, विद्युत से भी ये अस्त्र छोडे जाते हैं। प्रमाणों की ज़रूरत नहीं है कि प्राचीन [[आर्य]] गोला-बारूद और भारी तोपें, टैंक बनाने में भी कुशल थे। इन अस्त्रों के लिये देवी और देवताओं की आवश्यकता नहीं पड़ती। ये भयकंर अस्त्र हैं और स्वयं ही अग्नि, गैस या विद्युत आदि से चलते हैं। इनका प्राचीन [[संस्कृत]]-ग्रन्थों में उल्लेख है।
 
  
 
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13:00, 28 अप्रैल 2011 का अवतरण

मुद्गर अस्त्र को साधारणतया एक हाथ से उठाते हैं। कहीं यह बताया है कि वह हथौड़े के समान भी होता है। ये वे शस्त्र हैं, जो यान्त्रिक उपाय से फेंके जाते थे। ये अस्त्रनलिका आदि हैं नाना प्रकार के अस्त्र इसके अन्तर्गत आते हैं। अग्नि, गैस, विद्युत से भी ये अस्त्र छोडे जाते हैं। प्रमाणों की ज़रूरत नहीं है कि प्राचीन आर्य गोला-बारूद और भारी तोपें, टैंक बनाने में भी कुशल थे। इन अस्त्रों के लिये देवी और देवताओं की आवश्यकता नहीं पड़ती। ये भयकंर अस्त्र हैं और स्वयं ही अग्नि, गैस या विद्युत आदि से चलते हैं। इनका प्राचीन संस्कृत-ग्रन्थों में उल्लेख है।


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