प्रसंग-
<balloon link="धृतराष्ट्र" title="धृतराष्ट्र पाण्डु के बड़े भाई थे । गाँधारी इनकी पत्नी थी और कौरव इनके पुत्र । पाण्डु के बाद हस्तिनापुर के राजा बने ।
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धृतराष्ट्र</balloon> ने पूछा था कि युद्ध में एकत्रित होने के बाद मेरे और <balloon link="पाण्डु" title="पाण्डु हस्तिनापुर के राजा और धृतराष्ट्र के भाई थे । ये पाँडवों के पिता थे।
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पाण्डु</balloon> के पुत्रों ने क्या किया, इसके उत्तर में <balloon link="संजय" title="संजय को दिव्य दृष्टि का वरदान था । जिससे महाभारत युद्ध में होने वाली घटनाओं का आँखों देखा हाल बताने में संजय, सक्षम था । श्रीमद् भागवत् गीता का उपदेश जो कृष्ण ने अर्जुन को दिया, वह भी संजय द्वारा ही सुनाया गया ।
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संजय</balloon> ने अब तक धृतराष्ट्र के पक्ष वालों की बात सुनायी। अब <balloon link="पांडव" title="पांडव कुन्ती के पुत्र थे। इनके नाम युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव थे।
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पाण्डवों</balloon> ने क्या किया, उसे पाँच श्लोकों में बतलाते हैं-
तत: शाख्ङश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखा: ।
सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोऽभवत् ।।13।।
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