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− | अपनी विषादयुक्त स्थिति का वर्णन करके अब < | + | अपनी विषादयुक्त स्थिति का वर्णन करके अब [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वह [[द्रोणाचार्य]] का सबसे प्रिय शिष्य था। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में जीतने वाला भी वही था।</ref> अपने विचारों के अनुसार युद्ध का अनौचित्य सिद्ध करते हैं- |
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13:08, 3 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-30 / Gita Chapter-1 Verse-30
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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