"हंसकायन" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''हंसकायन''' नामक एक प्रदेश का उल्लेख महाभारत, [[सभापर...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
<blockquote>'काश्मीरश्च कुमाराश्च घोरका हंसकायनाः, शिवित्रिगर्तयोधेया राजन्या मद्र-केकयाः।'</blockquote>
 
<blockquote>'काश्मीरश्च कुमाराश्च घोरका हंसकायनाः, शिवित्रिगर्तयोधेया राजन्या मद्र-केकयाः।'</blockquote>
  
*कुछ विद्धानों ने हंसकायन का अभिज्ञान [[कश्मीर]] के उत्तर-पश्चिम में स्थित 'हंजा प्रदेश' से किया है, जो प्रसंग से ठीक जान पड़ता है।
+
*कुछ विद्धानों ने हंसकायन का अभिज्ञान [[कश्मीर]] के उत्तर-पश्चिम में स्थित 'हंजा प्रदेश' से किया है, जो प्रसंग से ठीक जान पड़ता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=1006|url=}}</ref>
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

06:11, 16 जून 2013 का अवतरण

हंसकायन नामक एक प्रदेश का उल्लेख महाभारत, सभापर्व[1] में हुआ है।

'काश्मीरश्च कुमाराश्च घोरका हंसकायनाः, शिवित्रिगर्तयोधेया राजन्या मद्र-केकयाः।'

  • कुछ विद्धानों ने हंसकायन का अभिज्ञान कश्मीर के उत्तर-पश्चिम में स्थित 'हंजा प्रदेश' से किया है, जो प्रसंग से ठीक जान पड़ता है।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सभापर्व 52,14
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 1006 |

संबंधित लेख