गीता 4:4

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गीता अध्याय-4 श्लोक-4 / Gita Chapter-4 Verse-4

प्रसंग-


इस प्रकार भगवान् श्रीकृष्ण[1] के वचन सुनकर अर्जुन[2] ने पूछा, हे भगवन्


अपरं भवतो जन्म परं जन्म विवस्वत: ।
कथमेतद्विजानीयां त्वमादौ प्रोक्तवानिति ।।4।।



अर्जुन बोले-


आपका जन्म तो अर्वाचीन अभी हाल का है और सूर्य[3] का जन्म बहुत पुराना है अर्थात् कल्प के आदि में हो चुका था; तब मैं इस बात को कैसे समझूँ कि आप ही ने कल्प के आदि में सूर्य से यह योग कहा था ।।4।।

Arjuna said:


The sun-god Vivasvan is senior by birth to You. How am I to understand that in the beginning You instructed this science to him ?(4)


भवत: =आपका; जन्म =जन्म (तो); अपरम् = आधुनिक अर्थात् अब हुआ है(और); विवस्वत: = सूर्य का; जन्म = जन्म; परम् = बहुत पुराना है (इसलिये); एतत् = इस योग को (कल्प के); आदौ = आदि में; त्वम् = आपने; प्रोक्तवान् = कहा था; इति = यह (मैं); कथम् = कैसे; विजानीयाम् = जानूं।



अध्याय चार श्लोक संख्या
Verses- Chapter-4

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29, 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 'गीता' कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है।
  2. महाभारत के मुख्य पात्र है। वे पाण्डु एवं कुन्ती के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। द्रोणाचार्य के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। द्रौपदी को स्वयंवर में भी उन्होंने ही जीता था।
  3. सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। वे कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए।

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