उस अव्यक्त से भी अति परे दूसरा अर्थात् विलक्षण जो सनातन अव्यक्त भाव है, वह परम दिव्य पुरुष सब भूतों के नष्ट होने पर भी नष्ट नहीं होता ।।20।।
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Far beyond even this unmanifest, there is yet another unmanifest existence, that supreme divine person, who does not perish even though all beings perish. (20)
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