"गीता 8:2": अवतरणों में अंतर
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हे < | हे मधुसूदन<ref>मधुसूदन, केशव, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् [[कृष्ण]] का ही सम्बोधन है।</ref> ! यहाँ अधियज्ञ कौन है ? और वह इस शरीर में कैसे हैं ? तथा युक्तचित्त वाले पुरुषों द्वारा अन्त समय में आप किस प्रकार जानने में आते हैं ।।2।। | ||
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मधुसूदन = हे मधुसूदन ; अत्र = | मधुसूदन = हे मधुसूदन ; अत्र = यहाँ ; अधियज्ञ: = अधियज्ञ ; क: = कौन है (और वह) ; अस्मिन् = इस ; देहे = शरीर में ; कथम् = कैसे है ; च = और ; नियतात्मभि: = युक्त चित्त वाले पुरुषों द्वारा ; प्रयाणकाले = अन्त समय में (आप) ; कथम् = किस प्रकार ; ज्ञेय: असि = जानने में आते हो ; | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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[[Category:गीता]] [[Category:महाभारत]] | [[Category:गीता]] [[Category:महाभारत]] | ||
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08:38, 5 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-8 श्लोक-2 / Gita Chapter-8 Verse-2
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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