"गीता 17:3": अवतरणों में अंतर
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हे < | हे भारत<ref>पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी [[अर्जुन]] के सम्बोधन है।</ref> ! सभी मनुष्यों की श्रद्धा उनके अन्त:करण के अनुरूप होती है। यह पुरुष श्रद्धामय है, इसलिये जो पुरुष जैसी श्रद्धा वाला है वह स्वयं भी वही है ।।3।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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12:45, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-17 श्लोक-3 / Gita Chapter-17 Verse-3
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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