"गीता 17:9": अवतरणों में अंतर
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ग्रहण करने योग्य सात्त्विक पुरुषों के आहार का वर्णन करके अब अगले दो श्लोकों में त्याग करने योग्य राजस और तामस पुरुषों के आहार का वर्णन करते हैं | ग्रहण करने योग्य सात्त्विक पुरुषों के आहार का वर्णन करके अब अगले दो [[श्लोक|श्लोकों]] में त्याग करने योग्य राजस और तामस पुरुषों के आहार का वर्णन करते हैं | ||
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कड़वे, खट्टे, लवण युक्त, बहुत गरम, तीखे, रूखे, दाहकारक और दु:ख, चिन्ता तथा रोगों को उत्पन्न करने वाले आहार अर्थात् भोजन करने के पदार्थ राजस पुरुष को प्रिय होते | कड़वे, खट्टे, लवण युक्त, बहुत गरम, तीखे, रूखे, दाहकारक और दु:ख, चिन्ता तथा रोगों को उत्पन्न करने वाले आहार अर्थात् भोजन करने के पदार्थ राजस पुरुष को प्रिय होते हैं।।9।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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12:49, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-17 श्लोक-9 / Gita Chapter-17 Verse-9
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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