"गीता 15:3": अवतरणों में अंतर
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इस संसार वृक्ष का स्वरूप जैसा कहा है वैसा यहाँ विचार काल में नहीं पाया जाता। क्योंकि न तो इसका आदि है, न अन्त है तथा न इसकी अच्छी प्रकार से स्थिति ही है। इसलिये इस अहंता, ममता और वासना रूप अति दृढ मूलों वाले संसार रूप [[पीपल]] के वृक्ष को दृढ वैराग्य रूप शस्त्र द्वारा काटकर –।।3।। | |||
इस संसार वृक्ष का स्वरूप जैसा कहा है वैसा यहाँ विचार काल में नहीं पाया | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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10:47, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-15 श्लोक-3 / Gita Chapter-15 Verse-3
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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