"गीता 17:23": अवतरणों में अंतर
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सात्त्विक यज्ञ, दान और तप उपादेय क्यों है; भगवान् से उनका क्या संबंध है तथा उन सात्त्विक यज्ञ, तप और दानों में जो अंग-वैगुण्य हो जाये, उसकी पूर्ति किस प्रकार होती है- यह सब बतलाने के लिये अगला प्रकरण आरम्भ किया जाता है – | सात्त्विक [[यज्ञ]], दान और तप उपादेय क्यों है; भगवान् से उनका क्या संबंध है तथा उन सात्त्विक यज्ञ, तप और दानों में जो अंग-वैगुण्य हो जाये, उसकी पूर्ति किस प्रकार होती है- यह सब बतलाने के लिये अगला प्रकरण आरम्भ किया जाता है – | ||
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ऊँ,तत्, सत्- ऐसे यह तीन प्रकार का सच्चिदानन्दघन ब्रह्म का नाम कहा है; उसी से सृष्टि के आदिकाल में ब्राह्मण और < | ऊँ,तत्, सत्- ऐसे यह तीन प्रकार का सच्चिदानन्दघन ब्रह्म का नाम कहा है; उसी से सृष्टि के आदिकाल में [[ब्राह्मण]] और [[वेद]]<ref>वेद [[हिन्दू धर्म]] के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई।</ref> तथा यज्ञादि रचे गये ।।23।। | ||
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OM, TAT and SAT—This has been declared as the threefold appellation of the Absolute, who is Truth, Consciousness and Bliss solidified. By That the Brahmanas and the Vedas as well as sacrifices were created at the cosmic dawn.(23) | OM, TAT and SAT—This has been declared as the threefold appellation of the Absolute, who is Truth, Consciousness and Bliss solidified. By That the Brahmanas and the Vedas as well as sacrifices were created at the cosmic dawn.(23) | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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13:21, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-17 श्लोक-23 / Gita Chapter-17 Verse-23
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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