"गीता 17:12": अवतरणों में अंतर
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अब राजस यज्ञ के लक्षण बतलाते हैं- | अब राजस [[यज्ञ]] के लक्षण बतलाते हैं- | ||
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परंतु हे < | परंतु हे [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ! केवल दम्भाचरण के लिये अथवा फल को भी दृष्टि में रखकर जो [[यज्ञ]] किया जाता है, उस यज्ञ को तू राजस जान ।।12।। | ||
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13:01, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-17 श्लोक-12 / Gita Chapter-17 Verse-12
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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