"गीता 17:13": अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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अब तामस यज्ञ के लक्षण बतलाये जाते हैं, जो कि सर्वथा त्याज्य हैं- | अब तामस [[यज्ञ]] के लक्षण बतलाये जाते हैं, जो कि सर्वथा त्याज्य हैं- | ||
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''' | '''विधिहीनमस्रष्टान्नं मन्त्रहीनमदक्षिणम् ।'''<br/> | ||
'''श्रद्धाविरहितं यज्ञं तामसं परिचक्षते ।।13।।''' | '''श्रद्धाविरहितं यज्ञं तामसं परिचक्षते ।।13।।''' | ||
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शास्त्रविधि से हीन, अन्नदान से रहित, बिना मन्त्रों के, बिना दक्षिणा के और बिना श्रद्धा के किये जाने वाले यज्ञ को तामस यज्ञ कहते हैं ।।13।। | शास्त्रविधि से हीन, अन्नदान से रहित, बिना [[मन्त्र|मन्त्रों]] के, बिना दक्षिणा के और बिना श्रद्धा के किये जाने वाले [[यज्ञ]] को तामस यज्ञ कहते हैं ।।13।। | ||
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विधिहीनम् = शास्त्र विधि से हीन (और) ; | विधिहीनम् = शास्त्र विधि से हीन (और) ; अस्रष्टान्नम् = अन्नदान से रहित (एवं) ; मन्त्रहीनम् = बिना मन्त्रों के ; अदक्षिणम् = बिना दक्षिणा के ; श्रद्धाविरहितम् = बिना श्रद्धा के किये हुए ; यज्ञम् = यज्ञ को ; तामसम् = तामस (यज्ञ) ; परिवक्षते = कहते हैं | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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07:28, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-17 श्लोक-13 / Gita Chapter-17 Verse-13
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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