"गीता 4:4": अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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इस प्रकार भगवान् < | इस प्रकार भगवान् [[श्रीकृष्ण]]<ref>'गीता' कृष्ण द्वारा [[अर्जुन]] को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान [[विष्णु]] के [[अवतार]] माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे [[भारत]] में किसी न किसी रूप में की जाती है।</ref> के वचन सुनकर [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ने पूछा, हे भगवन् | ||
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'''अर्जुन बोले-''' | '''अर्जुन बोले-''' | ||
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आपका जन्म तो अर्वाचीन अभी हाल का है और < | आपका जन्म तो अर्वाचीन अभी हाल का है और [[सूर्य देव|सूर्य]]<ref>सूर्य [[कश्यप|महर्षि कश्यप]] के पुत्र हैं। वे कश्यप की पत्नी [[अदिति]] के गर्भ से उत्पन्न हुए।</ref> का जन्म बहुत पुराना है अर्थात् कल्प के आदि में हो चुका था; तब मैं इस बात को कैसे समझूँ कि आप ही ने कल्प के आदि में सूर्य से यह योग कहा था ।।4।। | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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11:30, 4 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-4 श्लोक-4 / Gita Chapter-4 Verse-4
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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