"गीता 15:1": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 28: | पंक्ति 28: | ||
'''श्रीभगवान् बोले-''' | '''श्रीभगवान् बोले-''' | ||
---- | ---- | ||
आदि पुरुष परमेश्वर रूप मूल वाले और ब्रह्म रूप मुख्य शाखा वाले जिस संसार रूप [[पीपल]] के वृक्ष को अविनाशी कहते हैं; तथा [[वेद]]<ref>वेद हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई।</ref> जिसके पत्ते कहे गये हैं- उस संसार रूप वृक्ष को जो पुरुष मूल सहित तत्त्व से जानता है, वह वेद के तात्पर्य को जानने वाला है ।।1।। | आदि पुरुष परमेश्वर रूप मूल वाले और ब्रह्म रूप मुख्य शाखा वाले जिस संसार रूप [[पीपल]] के वृक्ष को अविनाशी कहते हैं; तथा [[वेद]]<ref>वेद [[हिन्दू धर्म]] के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई।</ref> जिसके पत्ते कहे गये हैं- उस संसार रूप वृक्ष को जो पुरुष मूल सहित तत्त्व से जानता है, वह वेद के तात्पर्य को जानने वाला है ।।1।। | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| |
10:55, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-15 श्लोक-1 / Gita Chapter-15 Verse-1
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
||||