"गीता 4:5": अवतरणों में अंतर
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भगवान् के मुख से यह बात सुनकर कि अब तक मेरे बहुत से जन्म हो चुके हैं, यह जानने की इच्छा होती है कि आपका जन्म किस प्रकार होता है और आपके जन्म में तथा अन्य लोगों के जन्म में क्या भेद है? अतएव इस बात को समझाने के लिये भगवान् अपने जन्म का | भगवान् के मुख से यह बात सुनकर कि अब तक मेरे बहुत से जन्म हो चुके हैं, यह जानने की इच्छा होती है कि आपका जन्म किस प्रकार होता है और आपके जन्म में तथा अन्य लोगों के जन्म में क्या भेद है? अतएव इस बात को समझाने के लिये भगवान् अपने जन्म का तत्त्व बतलाते हैं- | ||
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07:00, 17 जनवरी 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-4 श्लोक-5 / Gita Chapter-4 Verse-5
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