"गीता 15:12": अवतरणों में अंतर
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<balloon link="सूर्य" title="सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। वे महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए। | <balloon link="सूर्य" title="सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। वे महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए। | ||
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">सूर्य</balloon> में स्थित जो | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">सूर्य</balloon> में स्थित जो तेज़ सम्पूर्ण जगत् को प्रकाशित करता है तथा जो तेज़ <balloon link="चंद्र" title="पौराणिक संदर्भों के अनुसार चंद्रमा को तपस्वी अत्रि और अनुसूया की संतान बताया गया है जिसका नाम 'सोम' है। | ||
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">चन्द्रमा</balloon> में है और जो <balloon link="अग्निदेव" title="अग्निदेवता यज्ञ के प्रधान अंग हैं। ये सर्वत्र प्रकाश करने वाले एवं सभी पुरुषार्थों को प्रदान करने वाले हैं। | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">चन्द्रमा</balloon> में है और जो <balloon link="अग्निदेव" title="अग्निदेवता यज्ञ के प्रधान अंग हैं। ये सर्वत्र प्रकाश करने वाले एवं सभी पुरुषार्थों को प्रदान करने वाले हैं। | ||
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अग्नि</balloon> में हैं- उसको तू मेरा ही | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अग्नि</balloon> में हैं- उसको तू मेरा ही तेज़ जान ।।12।। | ||
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यत् = जो ; तेज: = | यत् = जो ; तेज: = तेज़ ; आदित्यगतम् = सूर्य में स्थित हुआ ; अखिलम् = संपूर्ण ; जगत् = जगत् को ; भासयते = प्रकाशित करता है ; च = तथा ; यत् = जो (तेज) ; चन्द्रमसि = चन्द्रमामें स्थित है (और) ; यत् = जो (तेज) ; अग्नौ = अग्नि में (स्थित है) ; तत् = उसको (तूं) ; मामकम् = मेरा ही ; तेज: = तेज़ ; विद्धि = जान ; | ||
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11:37, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-15 श्लोक-12 / Gita Chapter-15 Verse-12
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