"गीता 17:28": अवतरणों में अंतर
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इस प्रकार श्रद्धापूर्वक किये हुए शास्त्रविहित यज्ञ, तप, दान आदि कर्मों का | इस प्रकार श्रद्धापूर्वक किये हुए शास्त्रविहित यज्ञ, तप, दान आदि कर्मों का महत्त्व बतलाया गया; उसे सुनकर यह जिज्ञासा होती है कि जो शास्त्रविहित यज्ञादि कर्म बिना श्रद्धा के किये जाते हैं, उनका क्या फल होता है ? इस पर भगवान् इस अध्याय का उपसंहार करते हुए कहते हैं- | ||
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10:26, 13 मार्च 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-17 श्लोक-28 / Gita Chapter-17 Verse-28
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