"गीता 17:18": अवतरणों में अंतर
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च = और ; यत् = जो ; तप: = तप ; सत्कारमानपूजार्थम् = सत्कार मान और पूजा के लिये ; अध्रुवम् = अनिश्र्चित (और) चलम् =क्षणिक फलवाला ; (वा) = अथवा ; दम्भेन = केवल पाखण्ड से ; एव = ही ; क्रियते = किया जाता है ; तत् = वह ; इह = | च = और ; यत् = जो ; तप: = तप ; सत्कारमानपूजार्थम् = सत्कार मान और पूजा के लिये ; अध्रुवम् = अनिश्र्चित (और) चलम् =क्षणिक फलवाला ; (वा) = अथवा ; दम्भेन = केवल पाखण्ड से ; एव = ही ; क्रियते = किया जाता है ; तत् = वह ; इह = यहाँ ; राजसम् = राजस ; प्रोक्तम् = कहा गया है | ||
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14:41, 20 अप्रैल 2010 का अवतरण
गीता अध्याय-17 श्लोक-18 / Gita Chapter-17 Verse-18
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