किंन्तु जो दान क्लेशपूर्वक तथा प्रत्युपकार प्रयोजन से अथवा फल को दृष्टि में रखकर फिर दिया जाता है, वह दान राजस कहा गया है ।।21।।
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A gift which is bestowed in a grudging spirit and with the object of getting a service in return or in the hope of obtaining a reward, is called Rajas.(21)
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