भोजन भी सबको अपनी–अपनी प्रकृति के अनुसार तीन प्रकार का प्रिय होता है । और वैसे ही यज्ञ, तप और दान भी तीन-तीन प्रकार के होते हैं । उनके इस पृथक्-पृथक् भेद को तू मुझसे सुन ।।7।।
|
Food also, which is agreeable to different men according to their innate disposition, is of three Kinds.And likewise sacrifice, penance and charity too are of three kinds each; hear their distinction as follows.(7)
|