परन्तु जो मेरे परायण रहने वाले भक्तजन सम्पूर्ण कर्मों को मुझ में अर्पण करके मुझ सगुण रूप परमेश्वर को ही अनन्य भक्ति योग से निरन्तर चिन्तन करते हुए भजते हैं ।।6।।
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On the other hand, those who depending exclusively on me (god with attributes), constantly meditation on me with single-minded devotion. (6)
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