देवता, ब्राह्राण, गुरु और ज्ञानीजनों का पूजन, पवित्रता, सरलता, ब्रह्राचर्य और अहिंसा – यह शरीर संबंधी तप कहा जाता है ।।14।।
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Worship of gods, the Brahmanas, one's elders and wise men, purity, straightness, continence and harmlessness—this is called bodily penance.(14)
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