मन की प्रसन्नता, शान्त भाव, भगवच्चिन्तन करने का स्वभाव, मन का निग्रह और अन्त:करण के भावों की भली-भाँति पवित्रता, इस प्रकार यह मनसंबंधी तप कहा जाता है ।।16।।
|
Cheerfulness of mind, placidity, habit of contemplation on God, control of mind and perfect purity of inner feeling- all this is called austerity of the mind. (16)
|