प्राप्त होने योग्य परम धाम, भरण-पोषण करने वाला, सबका स्वामी, शुभाशुभ का देखने वाला, सबका वासस्थान, शरण लेने योग्य, प्रत्युपकार न चाहकर हित करने वाला, सबकी उत्पत्ति –प्रलय का हेतु, स्थिति का आधार, निधान और अविनाशी कारण भी मैं ही हूँ ।।18।।
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I am the supreme goal, supporter, lord, witness, abode, refuge, wellwisher seeking no return, origin and end, resting-place, storehouse (to which all beings return at the time of universal desturction), and imperishable seed. (18)
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