गीता 9:5

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गीता अध्याय-9 श्लोक-5 / Gita Chapter-9 Verse-5

न च मत्थानि भूतानि पश्य मे योगमैश्वरम् ।
भूतभृन्न च भूतस्थो ममात्मा भूतभावन: ।।5।।



वे सब भूत मुझ में स्थित नहीं हैं; किंतु मेरी ईश्वरीय योगशक्ति को देख कि भूतों का धारण-पोषण करने वाला और भूतों को उत्पन्न करने वाला भर मेरा आत्मा वास्तव में भूतों में स्थित नहीं हैं ।।5।।

Nay, all those beings abide not in me; but behold the wonderful power of my divine yoga; though the sustainer and creator of beings, my self in reality dwells not in those beings. (5)


च = और (वे) ; भूतानि = सब भूत ; मे = मेरी ; योगम् = योगमाया (और) ; ऐश्र्वरम् = प्रभाव को ; पश्य = देख (कि) ; भूतभृत् = भूतों का धारण पोषण करने वाला (और) ; मत्स्थानि = मेरे में स्थित ; न = नहीं हैं (किन्तु) ; भूतभावन: = भूतों को उत्पन्न करने वाला ; च = भी ; मम = मेरी ; आत्मा = आत्मा (वास्तव में) ; भूतस्थ: = भूतों में स्थित ; न = नहीं है ;



अध्याय नौ श्लोक संख्या
Verses- Chapter-9

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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